सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम हमले की न्यायिक जांच की मांग पर सवाल उठाया, “क्या आप सेना का मनोबल गिराना चाहते हैं?
सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की गई है। इस याचिका में हमले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर सरकार, सीआरपीएफ और एनआईए को पर्यटक स्थलों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट कार्रवाई योजना बनाने की भी मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान इस तरह की न्यायिक जांच की मांग से
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीखे शब्दों में याचिकाकर्ता से पूछा, “क्या आप सेना का मनोबल गिराना चाहते हैं? कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में न्यायिक जांच की मांग से सुरक्षा बलों का मनोबल खराब हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वह अपनी चिंता को उचित जगह पर व्यक्त करें और इस मामले में किसी तरह की हस्तक्षेप से बचें, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल बना रहे और वे अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी पहलगाम हमले की निंदा करते हुए पीड़ितों की याद में दो मिनट का मौन रखा था, जो एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण आतंकवादी घटनाओं पर न्यायपालिका की प्रतिक्रिया थी।
केंद्र सरकार ने पहले भी मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को लेकर चिंता व्यक्त की थी कि इससे सुरक्षाबलों का मनोबल गिर सकता है।
पहलगाम हमले में 26 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें विदेशी भी थे। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले को जिम्मेदार ठहराया है। पुलवामा के बाद यह जम्मू-कश्मीर में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करेगा ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके और सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ाया जा सके।
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