शिबू सोरेन: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। वह 80 वर्ष के थे। उनके निधन से झारखंड में शोक की लहर है। लोग उन्हें प्यार से ‘दिशोम गुरुजी’ कहते थे।
शिबू सोरेन का जीवन और करियर
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में हुआ था। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपना जीवन आदिवासी लोगों के अधिकारों और पहचान के लिए समर्पित कर दिया। 1972 में, वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) बनाया। पार्टी ने अलग झारखंड राज्य की मांग की थी। पार्टी ने उनके नेतृत्व में झारखंड आंदोलन को मजबूत किया, जो 2000 में अलग राज्य बन गया।
तीन बार मुख्यमंत्री पद का पदभार ग्रहण
झारखंड में शिबू सोरेन ने तीन बार मुख्यमंत्री पद का पदभार ग्रहण किया है और कई बार संसद सदस्य भी रहे हैं। केंद्रीय सरकार में भी कोयला मंत्री रहे। उनकी साफ-सुथरी छवि और साधारण जीवनशैली उनकी पहचान थी। उनके निधन से झारखंड की राजनीतिक और सामाजिक दुनिया में एक बहुत बड़ा शून्य छाया है।
राजनीतिक विरासत और प्रतिष्ठा
आदिवासियों के हक के लिए शिबू सोरेन ने अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष किया। उनका संघर्ष जल, जंगल और जमीन पर हुआ। झारखंड के लोग उन्हें दिशोम गुरुजी के नाम से जानते थे। दिशोम गुरुजी का अर्थ है “गुरुजी जो सभी को रास्ता दिखाते हैं।” झारखंड में उनकी विरासत आज भी जीवित है।
झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री ने कहा
कई नेता उनके निधन पर शोक व्यक्त कर चुके हैं। झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री ने कहा, “शिबू सोरेन जी ने झारखंड के लिए जो कुछ किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।” हम उनसे प्रेरित हुए। राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके जाने से झारखंड ने एक बड़े नेता को खो दिया है।
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