ज्यादातर समय, छोटे निवेशक अपनी बचत का पैसा ऐसे उद्यमों में लगाना चाहते हैं जो अधिक लाभदायक हों। साथ ही वह खतरे का भी मूल्यांकन करता है। छोटे निवेशक पहले जोखिम का आकलन करके निवेश करते हैं। यही कारण है कि आज भी भारत में बैंक एफडी और पीपीएफ सबसे पसंदीदा निवेश साधन हैं। हाल ही में इक्विटी (शेयर और म्यूचुअल फंड) में निवेश की दर तेजी से बढ़ी है। इसका कारण FD और PPF से अधिक रिटर्न है। हालाँकि, शेयर बाजार में एक बार फिर से भारी गिरावट के बाद निवेशक यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि वे अपनी मेहनत की कमाई को कहां निवेश करें, जहां वे रिटर्न भी पा सकें और अपने पैसे को सुरक्षित भी रख सकें।
इक्विटी निवेश क्या हैं?
इक्विटी निवेश में पैसा किसी कंपनी के स्टॉक खरीदकर निवेश किया जाता है। इन शेयरों को अक्सर स्टॉक एक्सचेंज में बेचा जाता है। पूंजीगत लाभ और लाभांश के रूप में, यह निवेश की गई मूल राशि का मूल्य बढ़ा सकता है। न्यूनतम प्रारंभिक निवेश के लिए विविध निवेश विकल्प इसमें उपलब्ध हैं। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि इक्विटी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है अगर आप लंबी अवधि के लिए पैसा लगा रहे हैं और आप जोखिम उठाने में सक्षम हैं। इक्विटी निवेश भी जोखिमपूर्ण नहीं है। यह कंपनी-विशेष, बाजार में गिरावट और आर्थिक मंदी से प्रभावित होता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश क्या है?
छोटे निवेशक म्यूचुअल फंड में एकमात्र निवेश या SIP करते हैं। ज्ञात फंड मैनेजर म्यूचुअल फंड का पैसा कैसे चलाता है? वह पैसे लगाने के लिए सही कंपनी चुनता है। म्यूचुअल फंड का जोखिम शेयरों से कम है। यही कारण है कि अगर आप एक लंबी अवधि के निवेशक हैं तो आप म्यूचुअल फंड का चयन कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि म्यूचुअल फंड भी बाजार की गिरावट से प्रभावित होंगे। यह निवेश बिल्कुल सुरक्षित नहीं है।
सोने में निवेश क्या है?
भारतीय बाजार में कई सालों से सोना सबसे लोकप्रिय निवेशों में से एक रहा है। यह निवेशकों को सुरक्षित महसूस कराता है। सोना रियल एस्टेट से अधिक आसानी से खरीदा जा सकता है। यह भी एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसे बेचना आसान है और कहीं भी ले जा सकते हैं। यह स्टॉक, रियल एस्टेट और अन्य निवेशों से अलग है क्योंकि इसके लिए कुछ खास ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। सोने की कीमतें बदल सकती हैं, लेकिन समय के साथ सोने का मूल्य बढ़ा है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना, सोने में भी निवेश कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हर निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में कुछ सोना रखना चाहिए।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) क्या है?
एक सरकारी समर्थित बचत योजना, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, निवेश पर कर लाभ और आकर्षक रिटर्न प्रदान करती है। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत इस योजना से कर लाभ मिलता है। इस योजना के लिए प्रति वर्ष कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये की जमा राशि आवश्यक है। पब्लिक प्रोविडेंट फंड की न्यूनतम अवधि पंद्रह वर्ष है, जिसकी अवधि पांच वर्षों तक बढ़ाई जा सकती है। कोई भी भारतीय नागरिक, नाबालिग भी, पीपीएफ खाता खोल सकता है। 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ, यह लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा है।
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