नेपाल के बाद अब अमेरिका में हुआ बड़ा विमान हादसा, कई लोगों की मौत और जंगल में लगी भीषण आग

Image Source : PTI अमेरिका में विमान हादसे के बाद जंगल में लगी भीषण आग। जिलेट: नेपाल के बाद अब अमेरिका में भी बड़ा विमान हादसा होने की खबर सामने आ रही है। हादसा इतना भयानक था कि हादसे वाले स्थान पर जंगल में भीषण आग लग गई। ऐसे में यहां कई लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि मौतों की स्पष्ट संख्या का अभी पता नहीं चल सका है। यह दुर्घटना अमेरिका के व्योमिंग प्रांत में हुई, जहां एक विमान दुर्घनाग्रस्त हो गया। उसमें सवार कई लोगों की मौत होने के साथ ही जंगल में भीषण आग लग गई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इससे पहले नेपाल में भी पिछले दिनों रनवे पर बड़ा विमान हादसा हुआ था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। कैंपबेल काउंटी के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में बताया कि यह हादसा दोपहर करीब एक बजे हुआ, जब विमान व्योमिंग की सीमा के पास स्थित जिलेट शहर में उड़ान भर रहा था। उन्होंने कहा कि हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाई है। कैंपबेल काउंटी के अंडरशेरिफ क्वेंटिन रेनॉल्ड्स ने ‘जिलेट न्यूज रिकॉर्ड’ को बताया कि हादसे से पहले विमान के पायलट ने आपात संदेश भेजकर बताया था कि विमान में कुछ गड़बड़ी होने के संकेत दिए थे। दुर्घटना स्थल पर भीषण आग और धुआं रेनॉल्ड्स ने बताया कि बाद में इलाके के लोगों ने फोन कर संभावित दुर्घटनास्थल के पास से धुआं उठता दिखने की जानकारी दी। अधिकारियों के मुताबिक, विमान के दुर्घनाग्रस्त होने से जिलेट के आसपास के जंगलों में भीषण आग लग गई। उन्होंने बताया कि विमान की मदद से इलाके में पानी का छिड़काव कर लपटों पर काबू पाने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड ने हादसे की जांच के लिए अपनी एक टीम घटनास्थल के लिए रवाना की है। (एपी) Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

पाकिस्तान में पीटीआई का भयंकर विरोध प्रदर्शन, पुलिस ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार

Image Source : AP पाकिस्तान में पीटीआई का विरोध प्रदर्शन। इस्लामाबाद/लाहौरः पाकिस्तान में पीटीआई कार्यकर्ताओं ने भयंकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इमरान खान के निर्देश पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जेल में बंद अपने सभी नेताओं को छुड़ाने के लिए सड़क पर बिगुल बजा दिया है। इससे सरकार के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। पाकिस्तान की राजधानी को छोड़कर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के नेताओं और समर्थकों ने पूरे देश में प्रदर्शन किया, जहां शुक्रवार को सैकड़ों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। ये लोग बढ़े हुए बिजली बिल का विरोध कर रहे थे और पूर्व प्रधानमंत्री की जेल से रिहाई की मांग कर रहे थे। सरकार द्वारा इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्रशासन को विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति देने का आदेश देने का आग्रह किया। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सरकार द्वारा जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मुख्य विपक्षी दल पीटीआई राष्ट्रीय राजधानी में अपना बहुप्रचारित विरोध प्रदर्शन नहीं कर सका। हालांकि, इसकी सहयोगी दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी (जेआई) ने प्रतिबंध का उल्लंघन कर रैली की और दावा किया कि पुलिस ने उसके कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। इमरान खान और अन्य नेताओं की रिहाई की मांग लाहौर में पंजाब प्रांत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने दोनों दलों के 150 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। खान (71) पिछले साल अगस्त से कई मामलों में रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। इस्लामाबाद में पीटीआई ने इमरान खान और अन्य गिरफ्तार पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी, जिसमें कहा गया था कि वह राजधानी में नेशनल प्रेस क्लब के सामने रैली करेगी। जेआई ने बिजली की बढ़ी हुई दरों और अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के खिलाफ संसद भवन के सामने एफ-चौक पर धरना देने की योजना बनाई थी। (भाषा) यह भी पढ़ें ओलंपिक शुरू होने से कुछ घंटे पहले फ्रांस के हाईस्पीड रेल नेटवर्क पर हुआ हमला था सुनियोजित, कई खिलाड़ी लौटे स्वदेश आप जानकर रह जाएंगे हैरान, पाकिस्तान नहीं…अब लंदन से चुनाव लड़ेंगे पूर्व पीएम इमरान Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

जापान में भारी बारिश के चलते बाढ़ और भूस्खलन ने बढ़ाई लोगों की परेशानी, जानें कैसे हैं हालात

Image Source : AP Japan rain and flood टोक्यो: जापान में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ ने लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। उत्तरी जापान में भारी बारिश का कहर देखने को मिला है। बारिश के बाद आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण परिवहन सेवाएं बाधित हो गई हैं। सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने यामागाटा और अकिता प्रांत के कई शहरों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इन शहरों में अब तक गर्म हवाएं चलने के कारण उमस भरा मौसम था। लोगों की मदद कर रहे हैं बचाव कर्मी अग्निशमन एवं आपदा प्रबंधन एजेंसी के अनुसार, अकिता प्रांत के युजावा शहर में एक व्यक्ति सड़क निर्माण स्थल पर भूस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गया। एजेंसी के मुताबिक, युजावा में बचाव कर्मियों ने नाव की मदद से बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से 11 प्रभावितों को सुरक्षित निकाला है। पड़ोसी यामागाटा प्रांत में सबसे अधिक प्रभावित युजा और सकाटा कस्बों में बृहस्पतिवार को एक घंटे के भीतर 10 सेंटीमीटर (चार इंच) से अधिक बारिश हुई। क्षेत्र के हजारों लोगों को ऊंचे एवं सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी गई थी। हालांकि, शरण लेने वाले लोगों की संख्या के बारे में तत्काल जानकारी नहीं मिल पाई है। पीएम किशिदा ने लोगों से की ये अपील प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने प्रभावित इलाकों के लोगों से मौसम संबंधी जानकारियों पर लगातार नजर बनाए रखने और “सुरक्षा को प्राथमिकता देने’’ की अपील की है। पूर्वी जापान रेलवे कंपनी के अनुसार, यामागाटा शिंकानसेन बुलेट ट्रेन सेवाएं बृहस्पतिवार को आंशिक रूप से निलंबित कर दी गईं। एजेंसी ने शुक्रवार शाम तक क्षेत्र में लगभग 20 सेंटीमीटर (आठ इंच) अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान जताया और लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया। (एपी) यह भी पढ़ें: चीन में खाते-खाते मर गई लड़की, हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर LIVE देखी मौत NASA ने अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी पर दिया बड़ा अपडेट, ‘अभी तय नहीं है कोई तारीख’ बांग्लादेश में हुई हिंसा के बाद PM शेख हसीना का बड़ा कदम, करने जा रही हैं ये काम Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

नेपाल में जहां हुआ था भगवान बुद्ध का जन्म, उसको लेकर WHC ने सुनाया ये बड़ा फैसला

Image Source : FILE गौतम बुद्ध (प्रतीकात्मक) नई दिल्लीः नेपाल में जिस जगह भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, उसे लेकर अब विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) ने बड़ा फैसला सुनाया है। डब्ल्यूएचसी ने यहां जारी अपने सत्र में बृहस्पतिवार को नेपाल में भगवान बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी को संकटग्रस्त धरोहर स्थलों की सूची में शामिल नहीं करने का फैसला किया। यूनेस्को के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। लुंबिनी को 1997 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। मगर अब यह निर्णय विश्व धरोहर परिषद द्वारा स्टोनहेंज, एवेबरी और एसोसिएटेड साइट्स (यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्दर्न आयरलैंड) की जांच के एक दिन बाद लिया गया है। इसके बाद गौतमबुद्ध के जन्म स्थान को इस विश्व धरोहर स्थल को विश्व के संकटग्रस्त धरोहर स्थलों की सूची में नहीं डालने का निर्णय लिया गया। भारत में आयोजित हो रहा है सत्र डब्ल्यूएचसी का सत्र फिलहाल भारत में आयोजित किया जा रहा है। यह संस्था दुनिया की तमाम पुरातन धरोहरों को संरक्षित करने का कार्य करती है। विश्व की तमाम ऐतिहासिक इमारतों को डब्ल्यूएचसी की सूची में रखा गया है। मगर अब लुंबिनी को इससे बाहर कर दिया गया है। अधिकारी ने बताया कि स्टोनहेंज और लुंबिनी दोनों को पहले इस सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी। डब्ल्यूएचसी का 46वां सत्र पहली बार 21-31 जुलाई को भारत में आयोजित किया जा रहा है। बुधवार को स्टोनहेंज स्थल की, जबकि बृहस्पतिवार को हुई बैठक में लुंबिनी धरोहर स्थल पर विचार किया गया। (भाषा) यह भी पढ़ें पाकिस्तान में मुस्लिमों के साथ ही हो रहा बड़ा जुर्म, UN ने लगाई कड़ी फटकार 9 मई की हिंसा मामले में पूर्व पीएम इमरान खान को बड़ी राहत, अदालत ने 12 मामलों में खारिज की रिमांड Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

हज यात्रा के दौरान कितने भारतीयों की हुई मौत, जानिए केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में क्या बताया

Image Source : FILE AP हज यात्री नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि 2024 में हज के दौरान 200 से अधिक भारतीय यात्रियों की मौत हुई है, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु हृदय गति थमने और श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण हुई। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत सरकार ने हज यात्रा के सफल संचालन और भारतीय यात्रियों की सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने पर काफी जोर दिया है। कितनी थी उम्र मंत्री ने कहा, “हज के दौरान कुल 201 भारतीय यात्रियों की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश की मौत हृदय गति थमने और श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण हुई।” उन्होंने बताया कि कुल मृतकों में से 70 प्रतिशत की उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक थी। उन्होंने कहा कि हज 2024 में हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा यात्रियों की सहायता के लिए भेजे गए खादिम-उल-हुज्जाज (केयूएच) की संख्या बढ़कर 641 हो गई है, जो पिछले वर्ष की संख्या से दोगुनी से भी अधिक है। सऊदी अरब में भीषण गर्मी बता दें कि, हज यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जिसे हर साल लाखों मुस्लिम लोग सऊदी अरब के मक्का में जाकर संपन्न करते हैं। इस वर्ष, सऊदी सरकार और भारतीय हज समिति ने यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए थे, लेकिन फिर भी कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। इस साल सबसे ज्यादा 1,75,000 भारतीय हज यात्रा के लिए मक्का पहुंचे थे। हज के दौरान सऊदी अरब में पारा 50 डिग्री के पार तक पहुंच गया था। अधिकारियों ने दी थी सलाह हज यात्रा को दौरान वॉलेंटियर्स ने हर तरह से हाजियों की मदद की थी। गर्मी से बचने के लिए हाजियों को कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम दी गई थी। सऊदी अधिकारियों ने हाजियों से छाते का उपयोग करने, खूब पानी पीने और दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान धूप में निकलने से बचने की सलाह भी दी थी। (भाषा) यह भी पढ़ें: ट्रंप पर हमला करने वाले शख्स का लैपटॉप खोल रहा राज, आरोपी ने यहां से जुटाई थी अहम जानकारी अमेरिकी संसद में PM नेतन्याहू का संबोधन, जंग का विरोध करने वालों को दिया जवाब; बोले… Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

US ट्रैवल एडवाइजरी, भारत में मणिपुर, J&K समेत इन जगहों पर ना जाएं अमेरिकी

Image Source : FILE AP US Travel Advisory for India (सांकेतिक तस्वीर) वाशिंगटन: अमेरिका ने अपने नागरिकों से मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती क्षेत्रों और देश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में नहीं जाने को कहा है, जहां नक्सली सक्रिय हैं। भारत के लिए संशोधित यात्रा परामर्श में अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि उसने पूर्वोत्तर राज्यों की जानकारी के साथ इसे अपडेट किया है। परामर्श में कहा गया है, ‘‘अपराध और आतंकवाद, नक्सलवाद के कारण भारत में अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए। कुछ क्षेत्रों में जोखिम बढ़ गया है। कुल मिलाकर भारत को लेवल दो पर रखा गया है। लेकिन देश के कई हिस्सों को लेवल चार पर रखा गया है जैसे जम्मू और कश्मीर, भारत-पाक सीमा, मणिपुर और मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्से।’’ वजह जान लें अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, ‘‘आतंकवाद और नागरिक अशांति के कारण केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (पूर्वी लद्दाख क्षेत्र और इसकी राजधानी लेह को छोड़कर), सशस्त्र संघर्ष की आशंका के कारण भारत-पाकिस्तान सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर, नक्सलवाद, उग्रवाद के कारण मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों तथा हिंसा और अपराध के कारण मणिपुर की यात्रा ना करें।’’ परामर्श में अमेरिकियों को आतंकवाद और हिंसा के कारण पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की गई है। ‘आतंकवादी कभी भी हमला कर सकते हैं’ यात्रा परामर्श में कहा गया है, ‘‘भारतीय अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार भारत में सबसे तेजी से बढ़ते अपराधों में से एक है। यौन उत्पीड़न जैसे हिंसक अपराध पर्यटक स्थलों और अन्य स्थानों पर हुए हैं। आतंकवादी कभी भी हमला कर सकते हैं। वो पर्यटक स्थलों, परिवहन केंद्रों, बाजारों, शॉपिंग मॉल और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हैं।’’ लेनी होगी विशेष अनुमति विदेश विभाग ने कहा कि अमेरिकी सरकार के पास ग्रामीण क्षेत्रों में अमेरिकी नागरिकों को आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने की सीमित क्षमता है। यह क्षेत्र पूर्वी महाराष्ट्र और उत्तरी तेलंगाना से लेकर पश्चिमी पश्चिम बंगाल तक फैले हुए हैं। परामर्श में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार के कर्मचारियों को इन क्षेत्रों की यात्रा करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी। (भाषा) यह भी पढ़ें: ‘बर्दाश्त नहीं किया जाएगा’ जानिए इमरान खान को लेकर ऐसा क्यों बोल गए Pak PM शहबाज शरीफ चीन के साइंटिस्टों को मिली बड़ी कामयाबी, चंद्रमा से लाए सैंपल में खोजा पानी Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

अमेरिका: कल राष्ट्र को संबोधित करेंगे बाइडेन, आगे अमेरिकी लोगों के लिए कैसे करेंगे काम पूरा? इस पर होगी बात

अमेरिका: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी से पीछे हटने के बाद जो बाइडेन कल राष्ट्र को संबोधित करेंगे। इसकी जानकारी राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से दी गई है।

प्रदर्शन…हंगामा और जुलूस, UAE में बांग्लादेशियों को भारी पड़ गई ये गलती; जानिए फिर क्या हुआ

Image Source : AP UAE Bangladeshis Protest (सांकेतिक तस्वीर) दुबई: संयुक्त अरब अमीरात की एक अदालत ने दर्जनों बांग्लादेशियों को अपने देश की सरकार के खिलाफ यहां प्रदर्शन करने पर कारावास की सजा सुनाई है। इनमें से तीन को उम्रकैद की सजा दी गई है। सरकारी मीडिया ने सोमवार को यह खबर दी। यहां की सरकारी समाचार एजेंसी डब्ल्यूएएम की खबर के मुताबिक अबू धाबी की संघीय अपीलीय अदालत ने रविवार को 53 बांग्लादेशियों को 10-10 साल कारावास, एक बांग्लादेशी को 11 साल कारावास और तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इन बांग्लादेशियों को सजा पूरी होने के बाद देश से निष्कासित करने का भी आदेश दिया है। सड़कों पर निकाला जुलूस डब्ल्यूएएम ने खबर दी, ‘‘अदालत ने उन गवाहों को सुना जिन्होंने पुष्टि की कि आरोपी बांग्लादेश सरकार के फैसले के खिलाफ बड़ी संख्या में एकत्र हुए एवं यूएई की कई सड़कों पर विशाल जुलूस निकाला।’’ यूएई के अधिकारियों ने शनिवार को गिरफ्तार बांग्लादेशियों के खिलाफ जांच करने और उनके मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था। यूएई में राजनीतिक दल या मजदूर संघ बनाने पर रोक है और बड़े पैमाने पर कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बंदिशें लगाता है। यूएई में भी हुए विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश सरकार ने 1971 के मुक्तिसंग्राम में मुक्तिवाहिनी के सदस्यों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण का प्रावधान किया था जिसके खिलाफ कई दिनों तक दक्षिणी एशियाई देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद यूएई में भी विरोध प्रदर्शन हुए थे। बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने रविवार को आरक्षण की सीमा को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को प्रदर्शनकारियों की आंशिक जीत माना जा रहा है। (एपी) यह भी पढ़ें: US Presidential Election: जानिए किसने बताया कमला हैरिस को मजाक का पात्र, ऐसे की बाइडेन से तुलना इजराइल के एक और फरमान ने गाजा में मचाया कोहराम, अब क्या करने वाली है सेना Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

भारत और रूस के संबंधों पर अमेरिका ने फिर दी प्रतिक्रिया, जानिए इस बार क्या कहा

Image Source : FILE AP USA NSA Jake Sullivan वाशिंगटन: भारत और रूस के संबंधों को लेकर अमेरिका ने फिर प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन ने कहा है कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि भारत रूस के साथ सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंध मजबूत कर रहा है। सुलिवन ने कहा कि चीन के लिए ‘सहयोगी’ बन चुका रूस जरूरी नहीं कि भविष्य में भारत का ‘विश्वसनीय मित्र’ रहे। सुलिवन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की रूस यात्रा के बारे में पूछे गए प्रश्नों पर यह टिप्पणी की। सुलिवन कोलोराडो में ‘एस्पेन सिक्योरिटी फोरम’ में सवालों का जवाब दे रहे थे। ‘नहीं मिले ठोस प्रमाण’ अमेरिका के एनएसए ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हमें इस बात के ठोस प्रमाण मिले हैं कि भारत रूस के साथ अपने सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंधों को गहरा कर रहा है? मुझे उस यात्रा में इस बात के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह संबंध गहरा हो रहा है, मुझे उस क्षेत्र में कोई परिणाम देखने को नहीं मिला।’’ सुलिवन से पूछा गया कि ‘‘आप उस समय क्या चिंतित थे जब प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की, जबकि यह मुलाकात उसी समय हुई थी जब राष्ट्रपति जो बाइडेन वाशिंगटन में नाटो के नेताओं की मेजबानी कर रहे थे?’’ ‘भारत का रूस के साथ है ऐतिहासिक संबंध’ पुतिन और मोदी के गर्मजोशी से एक दूसरे को गले लगाने के बारे में पूछे जाने पर सुलिवन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का विश्व नेताओं का अभिवादन करने का एक खास तरीका है। मैंने इसे करीब से और व्यक्तिगत रूप से देखा है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जो बाइडेन प्रशासन कभी नहीं चाहता कि अमेरिका जिन देशों की परवाह करता है, जो उसके साझेदार और मित्र हैं, वे मॉस्को जाकर पुतिन को गले लगाएं। सुलिवन ने कहा, ‘‘लेकिन भारत के साथ हमारे संबंधों के संदर्भ में, आप जानते हैं, हम प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति में अपार अवसर देखते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उस रिश्ते को, समानता के आधार पर गहरा करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध है जिसे वे खत्म नहीं करने जा रहे हैं।’’ ‘गहरे हो रहे हैं चीन और रूस के संबंध’ सुलिवन ने कहा, ‘‘लेकिन हम भारत के साथ इस संबंध की प्रकृति और विशेषताओं के बारे में गहन बातचीत जारी रखना चाहते हैं तथा यह भी कि क्या यह संबंध आगे बढ़ेगा, क्योंकि रूस चीन के और अधिक निकट होता जा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन का करीबी साझेदार होने के नाते, यह आवश्यक नहीं है कि भविष्य में किसी आकस्मिक स्थिति या संकट के समय रूस भारत के लिए विश्वसनीय मित्र साबित हो।’’ (भाषा) यह भी पढ़ें: Bangladesh Violence: हिंसा से झुलसा बांग्लादेश, 4,500 से अधिक भारतीय छात्र लौटे देश US Elections: बाइडेन के चुनाव से पीछे हटने पर आया ट्रंप का पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा? Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

बड़ा खतरा! समंदर, नदियों, झील और तलाब में ऑक्सीजन तेजी से हो रहा है कम

Image Source : FILE पानी में घट रहा ऑक्सीजन का स्तर Earth Water Oxygen Decreasing: हाल के दिनों में धरती पर्यावरण से जुड़े बड़े खतरों से निरंतर जूझ रही है। पृथ्वी के जीवन रक्षा तंत्र पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा है समंदर, नदियों, झील और तलाब में घुलनशील ऑक्सीजन का तेजी से कम होना। धरती के पानी में तेजी से कम हो रहे ऑक्सीजन से जल में रहनेवालों जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। यह शोध नेचर इकोलॉजी एंड एवॉल्यूशन जर्नल में पब्लिश हुआ है। पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ेगा इस रिसर्च के मुताबिक पानी में ऑक्सीजन की कमी से न केवल जलीय जीव प्रभावित होंगे बल्कि पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ेगा। जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ने से हवा और पानी का तापमान औसत से ज्यादा बढ़ रहा है जिससे सतही पानी ऑक्सीजन को संभाल नहीं पा रहा है। पानी में रहने वाले जीवों पर खतरा इसके अलावा जितनी ऑक्सीजन जीव जंतुओं के इस्तेमाल पर खर्च होती है, उतनी पेड़ पौधे वापस नहीं बना पा रहे। इससे जल में रहने वाले जीवों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। इको सिस्टम बिगड़ जाएगा इस रिसर्च में कहा गया है कि अरबों लोग भोजन और आमदनी के लिए समुद्र और मीठे पानी के स्रोत पर निर्भर हैं। ऐसे में अगर जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ता है तो असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाएगी और पूरा इको सिस्टम बिगड़ जाएगा।वैज्ञानिकों की एक टीम का यह प्रस्ताव है कि जलीय डीऑक्सीजनेशन को ग्रहीय सीमों की लिस्ट में जोड़ा जाए। यह वह सीमा है जिसके अंदर मानवता आनेवाली पीढ़ियों के लिए विकसित हो सकती है और इसे पार करने के गंभीर रिजल्ट हो सकते हैं। Latest World News डिस्क्लेमरः यह Live India News की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. Live India News की टीम ने संपादित नहीं किया है Source link

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