अचानक पीएम मोदी का हाथ पकड़, उंगली चेक करने लगे नीतीश, वायरल हो रहा Video

Image Source : PTI पीएम मोदी के साथ नीतीश। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्धघाटन किया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के विनाश को याद करते हुए कहा कि आग की लपटें किताब जला सकती हैं, ज्ञान नहीं। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पीएम मोदी के साथ थे। जब पीएम मोदी, नीतीश कुमार के पास में बैठे हुए थे तब अचानक से नीतीश ने उनका हाथ पकड़ लिया और उंगली चेक करने लगे। अब इस घटना का वीडियो काफी वायरल हो रहा है। नीतीश ने ऐसा क्यों किया? सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन अवसर पर एक साथ बैठे हैं। इस बीच नीतीश कुमार अचानक से पीएम मोदी का हाथ पकड़ लेते हैं और उनकी उंगली चेक करते हैं। इसके बाद नीतीश अपनी उंगली भी दिखाते हैं। जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की उंगली पर चुनावी स्याही के निशान को चेक किया था। आगे देखिए इस वाकये का वीडियो नीतीश ने पीएम मोदी के लिए क्या कहा? उद्घाटन अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी अपनी हंसी नहीं रोक पाए। नीतीश ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले जब यह खबर आई कि आप आ रहे हैं उद्घाटन करने तो हमलोगों को बहुत अच्छा लगा। इसके बाद उन्होंने हंसते हुए कहा कि तीसरी बार भी आप है ही (केंद्र में तीसरी बार सत्ता में आने पर)…फिर आप आ रहे हैं तो हमें बहुत अच्छा लगा। नीतीश ने जैसे ही पीएम मोदी के तीसरी बार का उल्लेख किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हंसी नहीं रोक पाए। नालंदा केवल एक नाम नहीं है- पीएम मोदी उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, इसमें विश्व और एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। पीएम मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की भागीदारी में भारत के मित्र देशों का अभिनंदन किया। पीएम मोदी ने कहा, “नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं।” ये भी पढ़ें- ‘कुर्सी की पेटी बांध लीजिए, सदन का बढ़ने वाला है तापमान’, संसद सत्र शुरू होने से पहले बोली कांग्रेस BJP का स्पीकर..NDA का डिप्टी स्पीकर! राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक में नामों पर चर्चा Latest India News Source link

Narendra Modi Oath: पीएम मोदी के साथ 72 मंत्रियों ने ली शपथ, ये हैं कैबिनेट के नए नवरतन

Image Source : PTI पीएम मोदी की नई कैबिनेट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई गठबंधन सरकार के 72 मंत्रियों के साथ रविवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली, इनमें से तीस कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। विभागों की घोषणा बाद में की जाएगी। 73 वर्षीय पीएम मोदी यूपीए के 10 साल के शासन के बाद 2014 में मिली बड़ी जीत के बाद प्रधान मंत्री बने थे और उसके बाद 2019 में दूसरे और 2024 में तीसरी बार पीएम बने हैं। अपने तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी एनडीए गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे। पीएम मोदी देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार चुने जाने वाले दूसरे प्रधान मंत्री हैं। रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समामरोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएम मोदी और उनके 72 मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम मोदी के के बाद राजनाथ सिंह और अमित शाह ने शपथ ली। नितिन गडकरी चौथे नेता थे। उनके बाद जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर और मनोहर लाल खट्टर ने भी शपथ ली। मोदी कैबिनेट के नए नवरतन, जानिए उनके नाम खट्टर के बाद शपथ लेने वाले जनता दल (सेक्युलर) के एचडी कुमारस्वामी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भाजपा के किसी भी सहयोगी दल से शपथ लेने वाले पहले नेता थे। इसके तुरंत बाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) नेता ललन सिंह ने भी शपथ ली। सर्बानंद सोनोवाल शपथ लेने वाले पूर्वोत्तर के पहले नेता थे और किरेन रिजिजू दूसरे नेता रहे। भारत को लगातार दो तेल संकटों से उबरने में मदद करने वाले पूर्व राजनयिक हरदीप सिंह पुरी शपथ लेने वाले मंत्रियों में शामिल थे। भाजपा के प्रमुख अनुसूचित जाति चेहरे और आठ बार के सांसद वीरेंद्र कुमार को नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल किया गया। उन्होंने मध्य प्रदेश की टीकमगढ़ आरक्षित सीट से चुनाव जीता था। मंच पर बुलाए गए नेताओं के समर्थकों ने जब अपने नेताओं को राष्ट्रपति द्वारा शपथ दिलाने के लिए माइक की ओर बढ़ते देखा तो उन्होंने जोर-जोर से तालियां बजाईं। चार साल पहले कांग्रेस छोड़ने के बाद से मोदी 3.0 मंत्रिपरिषद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के शामिल होने से भाजपा में उनका महत्व मजबूत हो गया है, जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत है। Latest India News Source link

बिहार के सीएम नीतीश कुमार को धूर्त क्यों कहते हैं प्रशांत किशोर? ‘आप की अदालत’ में बताया

Image Source : INDIA TV नीतीश कुमार पर क्या बोले प्रशांत किशोर? नई दिल्ली: आप की अदालत में प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी बात की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से मेरे व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे रहे हैं। जब मैं उनके साथ था तो मेरा-उनका करीब-करीब पिता-पुत्र का संबंध रहा है। नीतीश के घर में आज भी हैं प्रशांत के कपड़े प्रशांत ने कहा कि आज भी उनके (नीतीश) घर में मेरे कपड़े और सामान पड़ा हुआ है। उन्हीं के द्वारा सिलवाए गए थे, उन्हीं के पास रह गए। उनका रास्ता अलग है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जब मैं उनसे पिछली बार मिला था, तब मैंने ट्वीट भी किया था कि जो प्रस्ताव आप वापस आने का दे रहे हैं, वह अब संभव नहीं है। नीतीश को धूर्त क्यों कहते हैं प्रशांत? प्रशांत ने कहा कि जिस नीतीश कुमार की मैंने मदद की थी, वो वह नीतीश कुमार थे जो 2014 में चुनाव नहीं हारे थे, उनकी पार्टी हारी थी। उन्होंने पद से इस्तीफा देकर मांझी को जिम्मा सौंप दिया था। आज मैं जिस नीतीश कुमार का विरोध कर रहा हूं, वो हार गए हैं, 42 विधायक हैं। वे कभी आरजेडी के साथ और कभी कमल के साथ मिलकर सरकार बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज मैं जिस नीतीश कुमार की बात कर रहा हूं, वह वो हैं जो कोरोना काल में घर से बाहर नहीं निकले और हजारों लोगों की मौत हो गई। जिस नीतीश कुमार की मैंने मदद की थी, वो वह थे कि जो बिहार में सुशासन लाने की कोशिश कर रहे थे। आज नीतीश वो हैं, जिसे अधिकारियों का जंगलराज कहा जाता है। देखें पूरा एपिसोड- ये भी पढ़ें: प्रियंका गांधी को राजनीति में क्यों आगे नहीं आने देतीं सोनिया; राहुल को क्यों मिलती है प्राथमिकता? जानें क्या बोले प्रशांत किशोर आप की अदालत: पीएम मोदी की सबसे बड़ी ताकत क्या है? प्रशांत किशोर ने बताया Latest India News Source link

राहुल गांधी ने सीएम नीतीश कुमार पर साधा निशाना, बोले- “थोड़ा-सा दबाव पड़ता और वे पलट जाते हैं”

Image Source : PTI कांग्रेस सांसद राहुल गांधी Bharat Jodo Nyay Yatra: बिहार की राजनीतिक हलचल से INDI Alliance को धक्का लगने के बाद आज राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है। बिहार के मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि उन्होंने थोड़ा दबाव महसूस किया और यू टर्न लिया। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार में प्रवेश कर लिया है। आज राहुल गांधी ने अपने संबोधन में इस यात्रा के दौरान नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। “दवाब क्यों पड़ा” राहुल ने कहा कि थोड़ा-सा दबाव पड़ता है और उन्होंने यू टर्न ले लिया, दवाब क्यों पड़ा क्योंकि बिहार में हमारे गठबंधन ने एक बात जनता के सामने रखी है। इस यात्रा में हमने जनता के सामने पांच न्याय की बात कर रहे हैं वो है सामाजिक न्याय और बीजेपी ये नहीं चाहती। चुटकीले अंदाज में साधा निशाना राहुल ने अपने संबोधन में अखिलेश के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि अखिलेश जी का भाषण चल रहा था तो बघेल जी ने मुझे एक चुटकुला सुनाया। आपके राज्य के मुख्यमंत्री के बारे में ये है। आपके सीएम गवर्नर के यहां शपथ ग्रहण के लिए गए। काफी धूमधाम था, वहीं, बीजेपी के नेता , गवर्नर साहब मौजूद थे। मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण करते हैं और फिर वे निकल जाते हैं, गाड़ी में पता चलता है कि वे अपना शॉल गवर्नर हाउस में भूल गए, फिर वे ड्राइवर को वापस चलने के लिए के लिए कहते हैं। जैसे ही गवर्नर अपना दरवाजा खोलते हैं तो गवर्नर कहते हैं, ‘अरे इतनी जल्दी आ गए’। ऐसी है बिहार की हालत.. थोड़ा-सा दबाव पड़ता है और (नीतीश कुमार) यू-टर्न ले लेते हैं। “नीतीश जी कहां फंसे” राहुल गांधी ने आगे कहा कि बात समझिए नीतीश जी कहां फंसे। मैंने नीतीश जी से साफ कह दिया कि आपको बिहार में जातीय जनगणना करनी पड़ेगी हम आपको छूट नहीं देंगे। और आरजेडी और हमने ये काम नीतीश जी पर दबाव डालकर काम कराया। अब दूसरे साइड से प्रेशर आ गया। बीजेपी नहीं चाहती कि देश को पता चले कि कितने पिछड़े, कितने दलित हैं? बीजेपी नहीं चाहती की सामाजिक न्याय की बात हो। बीजेपी ने उन्हें भागने के लिए बैक डोर दे दिया। लोगों को सामाजिक न्याय दिलाना हमारी गठबंधन का काम है और इसके लिए हमें नीतीश जी की कोई जरूरत नहीं है। ‘ओबीसी देश का सबसे बड़ा समाज’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, “हमारे समाज में सामाजिक वर्ग- पिछड़ा वर्ग, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और सामान्य जाति के लोग हैं। ओबीसी समुदाय देश का सबसे बड़ा समाज है। लेकिन आज अगर मैं आपसे जनसंख्या पूछूंगा देश में ओबीसी समाज की आबादी कितनी है, तो आपके पास जवाब नहीं होगा।” राहुल गांधी ने कहा, ”इस देश में जनसंख्या का पता लगाने के लिए भारत का एक्स-रे करने का समय आ गया है, सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम देश का एक्स-रे है। बिहार में सामाजिक न्याय देना गठबंधन की जिम्मेदारी है। यहां नीतीश कुमार की जरूरत नहीं है। हम यहां अपना काम करेंगे” ये भी पढ़ें:-सुपर किंग्स के खिलाड़ियों ने तूफानी बल्लेबाजी से मचाया तहलका, सिर्फ 34 गेंदों में ही खत्म कर दिया मैच Latest India News Source link

‘नीतीश कुमार को सबक सिखाएगी जनता’, बिहार सीएम पर भड़के शरद पवार

Image Source : PTI नीतीश पर भड़के शरद पवार। बिहार की सत्ता में परिवर्तन के बाद पूरे देश से रिएक्शन सामने आ रहे हैं। कोई उन्हें एनडीए में वापसी पर बधाई दे रहा है तो कोई उनके विरोध में खड़ा है। वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जहां थे, वहीं फिर से आ गए हैं और अब इधर-उधर जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। अब इस पूरे घटनाक्रम पर एनसीपी के प्रमुख शरद पवार का बयान भी सामने आ गया है। उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की है। नीतीश को सबक सिखाएगी जनता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने की राजनीति का जनता करारा जवाब देगी। पवार ने तंज कसते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने पाला बदलने के मामले में एक तरह का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इससे पहले हरियाणा में आया राम, गया राम मुहावरा मशहूर हुआ था। नीतीश ही सबको साथ लाए थे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह नीतीश ही थे, जिन्होंने विपक्षी दलों को एकसाथ लाने की प्रक्रिया शुरू की और पार्टियों को पटना में आमंत्रित किया था। पवार ने वीडियो जारी करते हुए कि कहा कि नीतीश 15 दिन पहले तक विपक्षी दलों की एकता के लिए काम कर रहे थे। पता नहीं अचानक क्या हुआ। नौवीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश रविवार 28 जनवरी को नीतीश कुमार बिहार के नौवीं बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने रविवार सुबह को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और शाम को ही सीएम पद की शपथ ले ली। नीतीश कुमार के साथ-साथ आठ ने मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें तीन-तीन बीजेपी और जेडीयू के मंत्री हैं। वहीं एक मंत्री हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) से और एक मंत्री निर्दलीय है। ये भी पढ़ें- कौन हैं नीतीश कुमार की नई सरकार में बने आठ मंत्री, यहां जानिए पूरी डिटेल ये भी पढे़ं- धूर्त हैं नीतीश कुमार, फिर मारेंगे पलटी, लिखकर रख लो…प्रशांत किशोर का बड़ा बयान Latest India News Source link

कौन हैं नीतीश कुमार की नई सरकार में बने आठ मंत्री, यहां जानिए पूरी डिटेल

Image Source : INDIA TV जानिए कौन हैं नई नीतीश कुमार सरकार ने आठ मंत्री पटना: रविवार 28 जनवरी को नीतीश कुमार बिहार के नौवीं बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। उन्होंने रविवार सुबह को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और शाम को ही सीएम पद की शपथ ले ली। नीतीश कुमार के साथ-साथ आठ ने मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें तीन-तीन बीजेपी और जेडीयू के मंत्री हैं। वहीं एक मंत्री हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) से और एक मंत्री निर्दलीय है। बीजेपी कोटा से बने हैं 3 मंत्री उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और डॉक्टर प्रेम कुमार भारतीय जनता पार्टी के कोटे से मंत्री बने हैं। वहीं जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को हम के कोटे से मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही बिहार के एकमात्र निर्दलीय विधायक संतोष कुमार सिंह को भी नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट में शामिल किया है। 1999 में शुरू हुआ था सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर अब अगर हम बात करें बीजेपी कोटे के मंत्रियों की तो सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति के चर्चित नाम बन चुके हैं। वह बीजेपी बिहार प्रदेश के अध्यक्ष भी हैं। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने नीतीश कुमार की नेतृत्व की महागठबंधन सरकार को जमकर घेरा था। सम्राट चौधरी कुशवाहा समुदाय से आते हैं। बीजेपी सम्राट चौधरी के साहरे कुशवाहा समुदाय के मतदाताओं को अपने पक्ष में करना चाहती है। चौधरी का राजनीतिक सफ़र 1999 से शुरू हुआ था। Image Source : FILE सम्राट चौधरी पिता रहे हैं समता पार्टी के संस्थापक सदस्य सम्राट चौधरी के पिता स्वर्गीय शकुनी चौधरी लालू प्रसाद यादव के करीबी लोगों में से रहे हैं। उनके पिता खगड़िया से कई बार के विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके साथ ही वह समता पार्टी के सदस्य भी रह चुके हैं। वहीं सम्राट चौधरी नीतीश कुमार की पिछले एनडीए सरकार में पंचायती राज मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। बता दें कि सम्राट की राजनीति लालू यादव और नीतीश कुमार से होते हुए बीजेपी तक पहुंची है। विजय सिन्हा को भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया इसके साथ ही विजय सिन्हा को भी नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। विजय सिन्हा भी बिहार बीजेपी के तेजतर्रार नेताओं में से एक माने जाते हैं। 55 साल के विजय सिन्हा आरएसएस से जुड़े रहे हैं और 1983 से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वहीं मुख्यधारा की राजनीति में सिन्हा की एंट्री 1990 में हुई, जब बीजेपी ने इन्हें राजेंद्र नजग मंडल जिला पटना में उपाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद इन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार का प्रदेश सचिव बनाया गया। Image Source : FILE विजय सिन्हा लखीसराय से विधायक हैं विजय सिन्हा विजय सिन्हा साल 2005 में लखीसराय से विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे लेकिन प्रदेश में 6 महीने तक राष्टपति लगा रहा। नवंबर में दोबारा चुनाव हुए और इसमें वह हार गए। इसके बाद साल 2010 में विधानसभा चुनाव हुए और इसमें उन्हें जीत मिली। इस जीत के बाद विजय सिन्हा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह लखीसराय विधानसभा सीट से लगातार 3 बार से विधायक चुनकर आ रहे हैं। वहीं उपमुख्यमंत्री बनने से पहले वह सदन में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नीतीश और तेजस्वी सरकार को घेर रहे थे। विजय सिन्हा बीजेपी ने उन नेताओं में से एक थे, जो सरकार को सदन के अंदर और बाहर जबरदस्त तरीके से घेर रहे थे। बीजेपी कोटे से प्रेम कुमार को भी बनाया गया विधायक वहीं बीजेपी कोटा से बने एक और मंत्री प्रेम कुमार हैं। 68 वर्षीय प्रेम कुमार गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस विधानसभा क्षेत्र से डॉक्टर प्रेम कुमार साल 1990 से लगातार आठ बार के विधायक हैं। इससे पहले वह बिहार सरकार में कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, सार्वजानिक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग विभाग, सड़क निर्माण विभाग और शहरी विकास विभाग के मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा अक्टूबर 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें नेता विपक्ष भी चुना गया था। यहां वह जुलाई 2017 तक रहे। Image Source : FILE डॉक्टर प्रेम कुमार जेडीयू कोटे से भी बने हैं तीन मंत्री बीजेपी के अलावा जेडीयू के भी तीन विधायकों को नीतीश सरकार में मंत्री बनाया गया है। जेडीयू कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को मंत्री बनाया गया है। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने 77 साल उम्र में मंत्री पद की शपथ ली है। वह सुपौल से विधायक हैं और आठवीं बार विधानसभा में पहुंचे हैं। वह पार्टी के बड़े और नीतीश कुमार के करीबियों में से एक माने जाते हैं। बिजेंद्र सक्रिय राजनीति में 1967 में आ गए थे और 1990 में पहली बार विधायक बने। सुपौल विधानसभा क्षेत्र में बिजेंद्र का सिक्का चलता है। 1990 में पहली बार विधानसभा में पहुंचते ही उन्हें मंत्री पद दे दिया गया था और अब तक वह दर्जनभर से ज्यादा विभागों का काम देख चुके हैं। Image Source : FILE बिजेंद्र यादव विजय कुमार चौधरी को भी बनाया गया है मंत्री वहीं जेडीयू कोटे से मंत्री बने एक अन्य विधायक विजय कुमार चौधरी हैं। विजय समस्तीपुर जिले की सरयागंज विधानसभा सीट से विधातक हैं। विजय 1982 से बिहार विधानसभा के सदस्य हैं और इन्हें भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद ही करीबी माना जाता है। वह वित्त, वाणिज्य कर और विधायिका संबंधी कार्य मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा विजय कुमार चौधरी विधानसभा अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। नीतीश कुमार इन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं और यह जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख भी रह चुके हैं। Image Source : FILE विजय चौधरी बता दें कि बैंक में काम करते थे, लेकिन साल 1982 में अपने पिता के निधन के बाद वह नौकरी से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में आ गए और कांग्रेस के टिकट पर दलसिंहसराय से उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1985 और 1990 में कांग्रेस के तिअक्त पर ही लगातार तीन बार विधायक बने। वह साल 2000 से 2005 तक बिहार कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं। हालांकि 2005 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर नीतीश कुमार … Read more

धूर्त हैं नीतीश कुमार, फिर मारेंगे पलटी, लिखकर रख लो…प्रशांत किशोर का बड़ा बयान

Image Source : ANI प्रशांत किशोर ने बोला नीतीश पर बड़ा हमला राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को नीतीश कुमार पर कुछ कड़ी टिप्पणियां कीं हैं। कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में फिर से शामिल होने और नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने की खबर पर तंज कसा और कहा है कि नीतीश कुमार बिहार के लोगों को बेवकूफ बनाते रहे हैं। नीतीश कुमार एक धूर्त व्यक्ति हैं। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि भाजपा के साथ उनका गठबंधन 2025 में होने वाले अगले बिहार विधानसभा चुनाव तक नहीं टिकेगा और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नीतीश कुमार अगली बार किसके साथ आएंगे। नीतीश फिर से पलटी मारेिंगे और वे राज्य में किसके साथ चुनाव लड़ेंगे ये देखने वाली बात होगी। प्रशांत किशोर ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में विधानसभा चुनाव होंगे और नीतीश कुमार फिर पलटी मारेंगे। बीजेपी या राजद के साथ अगर लोकसभा चुनाव के बाद वह फिर पलटी मारते हैं तो नीतीश कुमार की पार्टी 20 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी. प्रशांत किशोर ने कहा, “अगर नीतीश कुमार अगले विधानसभा चुनाव में 20 से अधिक सीटें जीतते हैं, तो मैं अपने काम से संन्यास ले लूंगा। कृपया इसे लिख लें।” बिहार के लोग नीतीश कुमार को देंगे सही जवाब पीके ने कहा “वर्तमान बिहार की तस्वीर में, दो पक्ष हैं। एक तरफ, नीतीश कुमार चेहरा हैं, जो भाजपा द्वारा समर्थित हैं। दूसरी तरफ, राजद और अन्य दल हैं। इस गठन में बिहार विधानसभा चुनाव नहीं होंगे।” अगले बिहार चुनाव से पहले, बिहार में कई नाटकीय विकास होंगे। लोकसभा चुनाव के छह महीने के भीतर, आप उन विकासों को देखेंगे, “प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि भाजपा-नीतीश कुमार गठबंधन के पास तब तक एक जीवन रेखा है। “अगर आप पिछले एक साल से मेरे बयानों पर गौर करें तो आप पाएंगे कि मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जो कहता रहा है कि नीतीश कुमार कभी भी पलट सकते हैं। लेकिन आज यह साबित हो गया है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह भी ‘पलटूराम’ के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। “ नीतीश की राजनीति अब खत्म हो चुकी है प्रशांत किशोर ने अपनी पूर्व भविष्यवाणी का हवाला देते हुए कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ जारी नहीं रहेंगे और अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें लोकसभा चुनाव में 5 सीटें भी नहीं मिलेंगी। “वे मेरी भविष्यवाणी के बाद डर गए और पहले ही महागठबंधन छोड़ चुके हैं। मेरी अगली भविष्यवाणी है कि नीतीश कुमार की पार्टी को राज्य चुनाव में 20 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। कृपया इसे लिख लें। अगर जदयू को राज्य में 20 से अधिक सीटें मिलती हैं , मैं संन्यास ले लूंगा,” प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के लिए मौत की घंटी बजाते हुए और बिहार में 2025 के चुनाव में राजद के संभावित बहुमत का संकेत देते हुए कहा। Latest India News Source link

‘बिहार में खेल होना बाकी’, नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चाओं के बीच बोले तेजस्वी यादव

Image Source : FILE तेजस्वी यादव पटना: बिहार में सियासी गतिरोध जारी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदलने वाले हैं। कहा जा रहा है कि वह एक बार फिर से महागठबंधन तोड़कर एनडीए में जा रहे हैं। पटना और दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। बीजेपी के नेता भी नीतीश के एनडीए में आने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि यह सभी कयास ही हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह कयास हकीकत में बदल जाएंगे। इस बीच पटना में आरजेडी के विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में आरजेडी के विधायक समेत पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “सीएम नीतीश कुमार आदरणीय थे और हैं। कई चीजें नीतीश कुमार के नियंत्रण में नहीं हैं।’महागठबंधन’ में राजद के सहयोगी दलों ने हमेशा मुख्यमंत्री का सम्मान किया है।” अब अधिक लोग हमारे साथ- तेजस्वी तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री मेरे साथ मंच पर बैठते थे और पूछते थे, ”2005 से पहले बिहार में क्या था?” मैंने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। अब अधिक लोग हमारे साथ हैं। जो काम दो दशकों में नहीं हुआ, वह हमने कम समय में कर दिखाया, चाहे वह नौकरी हो, जाति जनगणना हो, आरक्षण बढ़ाना आदि हो। बिहार में अभी खेल होना बाकी है। फैसले लेने के लिए लालू यादव अधिकृत- मनोज झा वहीं बैठक के बाद राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि विधानमंडल की बैठक बेहद ही सार्थक हुई। उन्होंने कहा कि इस बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें राज्य और राष्ट्रीय मुद्दे शामिल थे। इसके साथ ही आगे होने वाले सभी फैसलों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव को अधिकृत किया गया है। मनोज झा ने कहा कि सभी फैसले लालू यादव ही लेंगे। Latest India News Source link

नीतीश की NDA में वापसी के संकेतों के बीच महागठबंधन में अनिश्चितता, बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस की बैठक आज

Image Source : PTI नीतीश कुमार, सीएम, बिहार पटना: बिहार की सियासत में सस्पेंस और रोमांच का दौर जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के अपना रुख एक बार फिर बदल कर BJP के नेतृत्व वाले एनडीए में वापसी के संकेतों के बीच सत्तारूढ़ महागठबंधन में अनिश्चितता के बादल छाये हुए प्रतीत हो रहे हैं। राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को लेकर जारी अटकलों को उस समय और बल मिला जब नीतीश कुमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में भाग लिया पर उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव इस समारोह में शामिल नहीं हुए। राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा सहित अन्य आगंतुकों के साथ अभिवादन करते देखा गया। तेजस्वी के आवास पर बैठक समारोह से बाहर निकलते हुए नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि यह यादव और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सहित राजद के अन्य नेताओं का काम है कि वे इस पर टिप्पणी करें कि वे (तेजस्वी यादव एवं पार्टी के अन्य नेता) समारोह में क्यों नहीं आये। राजद की ओर से राज्य के शिक्षा मंत्री आलोक मेहता मौजूद थे। हालांकि, न तो मेहता और न ही राजद के किसी अन्य नेता ने यादव की अनुपस्थिति पर कोई टिप्पणी की। बताया जाता है कि तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के गठबंधन तोड़ने का फैसला करने की स्थिति में सत्ता जाने से रोकने की रणनीति बनाने के लिए अपने आवास पर पार्टी के करीबी नेताओं के साथ बैठक की। अफवाहों पर स्थिति स्पष्ट करें नीतीश-आरजेडी राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार इन अफवाहों के बीच स्थिति स्पष्ट करेंगे कि क्या वह भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापस जाने की योजना बना रहे हैं। झा की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राज्य में जद(यू) के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘हमारे नेता महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री आवास में हैं। भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर कुछ लोग अभी भी भ्रम में हैं तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।’’ जद(यू) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने भी इन खबरों का खंडन किया। कुशवाहा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में सब कुछ ठीक है और मीडिया की अटकलें किसी एजेंडे से प्रेरित हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं कल और आज भी मुख्यमंत्री से मिला हूं। यह एक नियमित मुलाकात थी। अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। हम उन अफवाहों को भी खारिज करते हैं कि पार्टी विधायकों को तुरंत पटना आने के लिए कहा गया है।’’ अगस्त 2022 में महागठबंधन में शामिल हुए थे नीतीश नीतीश अगस्त 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने के बाद अपने पूर्व चिर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए थे। उस वक्त नीतीश ने भाजपा पर जद(यू) में विभाजन की कोशिश करने का आरोप लगाया था। बिहार में महागठबंधन की नयी सरकार बनाने के बाद यहां सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को केंद्र में सत्ता से उखाड फेंकने के लिए देश भर में सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने का अभियान शुरू किया जिसकी परिणति विपक्षी गुट ‘‘इंडिया’’ के गठन के रूप में हुई। नीतीश ने तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था नीतीश ने एक तरह से तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए यह घोषणा की थी कि राजद नेता 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे। नीतीश की इस घोषणा के बाद जद(यू) में नाराजगी फैल गई जिसके कारण उपेन्द्र कुशवाहा जैसे उनके करीबी सहयोगी को पार्टी छोड़नी पड़ी। जद(यू) और राजद के बीच अविश्वास के संकेत पिछले महीने उस समय भी मिले थे जब नीतीश ने औपचारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने राजद खेमे के करीब समझे जाने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की जगह ली थी। ललन ने कहा था कि उन्होंने खुद ही पार्टी का शीर्ष पद छोड़ दिया क्योंकि वह आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी लोकसभा सीट मुंगेर पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। इंडिया गठबंधन में नीतीश असहज पहचान उजागर न करने की शर्त पर महागठबंधन के एक नेता ने कहा, ‘‘जद(यू) को उम्मीद है कि वंचित जातियों के लिए कोटा में बढ़ोतरी और अन्य कल्याणकारी उपायों से जल्दी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने में उसे मदद मिलेगी, जबकि राजद और अन्य सहयोगी दल विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म होने के लगभग दो साल पहले उस जोखिम को उठाने के लिए अनिच्छुक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा नीतीश ‘इंडिया’ गठबंधन में जिस तरह से चीजें सामने आ रही हैं, उसके साथ-साथ सीट बंटवारे में देरी पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।’’ भाजपा, जिसने कुछ समय पहले तक नीतीश के लिए अपने दरवाजे बंद होने की बात कही थी, अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं पर राजग में उनकी संभावित वापसी के पर्याप्त संकेत दिए हैं। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बृहस्पतिवार की शाम दिल्ली में मुलाकात करने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि यह बैठक आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर थी। भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव जद(यू) और दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ मिलकर लड़ा था। गठबंधन ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीतीं थी। (भाषा) Latest India News Source link

Rajat Sharma’s Blog | बिहार में आंकड़ों का खेल : नीतीश ने फिर कर दिखाया

Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा। बिहार में फिर बदलाव की बयार है। कारण फिर से नीतीश कुमार हैं। नीतीश कुमार फिर पाला बदल सकते हैं। लालू को छोड़ मोदी से मिल सकते हैं। पिछले छत्तीस घंटों में इसके कई संकेत मिले। पटना से लेकर दिल्ली तक कई घटनाएं हुई। सब के केन्द्र में नीतीश कुमार हैं। शुक्रवार को पटना में आयोजित गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में नीतीश भी मोजूद थे, और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे, लेकिन मुख्यमंत्री के पास रखी कुर्सी पर तेजस्वी नहीं बैठे। वह कुछ दूरी पर अपनी पार्टी के नेता और स्पीकर अवध नारायण चौधरी के साथ बैठे। पूरे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। इधर, दिल्ली में खबर आई कि नीतीश बीजेपी के साथ मिल कर सरकार बनाने वाले हैं। नीतीश और राजद के बीच पिछले कई हफ्तों से खटास चल रही थी। नीतीश ने बुधवार को परिवारवाद की आलोचना की, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गुरुवार को लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ट्विटर पर बिना नाम लिए नीतीश पर हमला किया, उनकी नीयत पर सवाल उठाए। लालू की बेटी ने ट्विटर पर लिखा – “समाजवादी पुरोधा होने का दावा वही करता है, जिसकी विचारधारा हवाओं की तरह बदलती है। ..खीज जताए क्या होगा, जब हुआ न कोई अपना योग्य, विधि का विधान कौन टाले, जब खुद की नीयत में ही हो खोट”। जब ये ट्वीट वायरल हुए, हंगामा हुआ तो लालू की बेटी ने ट्वीट को डिलीट कर दिया। जेडीयू के नेता के सी त्यागी ने कहा कि बच्चों को बड़ों के मामले में बोलना नहीं चाहिए। नीतीश ने एक दिन पहले कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती के कार्यक्रम में परिवारवाद पर हमला करते हुए कहा था कि कर्पूरी जी ने कभी अपने जीते जी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया और उन्होंने खुद परिवारवाद को कभी बढ़ावा नहीं दिया, लेकिन आज के नेता परिवार को, बेटे-बेटी को आगे बढाते हैं। इसी बीच नीतीश कुमार ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान होने वाली रैली में शामिल होने से इंकार कर दिया। कहा जा रहा है कि वह 4 फरवरी को नरेंद्र मोदी की बेतिया में होने वाली रैली में जा सकते हैं। बुधवार देर रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जे पी नड्डा की तीन घंटे तक बैठक हुई जिसमें बिहार को लेकर रणनीति तय हुई। नीतीश कुमार के लिए दरवाजा खोला जाए या नहीं, इस पर विचार हुआ। पटना में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की अचानक मीटिंग बुला ली। राबड़ी देवी के घर पर भी पिछले दो दिनों से आरजेडी के नेताओं की मीटिंग चल रही है। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्ढा ने केरल का दौरा रद्द कर दिया। गुरुवार रात को दिल्ली में अमित शाह के घर पर बिहार बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हुई। एक बात बिलकुल स्पष्ट है। नीतीश कुमार को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो बीजेपी के साथ जाएं या लालू के साथ रहें। नीतीश को सिर्फ ये देखना है कि उनकी कुर्सी किस तरह बची रहे। लालू कुर्सी छोड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं, वह तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और अगर बीजेपी नीतीश को मुख्यमंत्री बनाए रखने का वादा करती है, तो नीतीश बीजेपी के साथ चले जाएंगे। चूंकि नीतीश ये जानते हैं कि इस वक्त बीजेपी और लालू दोनों को उनकी जरूरत है, वो जिसके साथ जाएंगे उसे फायदा होगा, इसीलिए नीतीश चाहेंगे कि बीजेपी ठोस वादा करे। उसके बाद बात आगे बढ़े। बीजेपी नीतीश को मुख्यमंत्री बनाए रखेगी इसमें फिलहाल कोई दिक्कत नहीं हैं लेकिन सवाल ये है कि फिर रुकावट कहां है? रुकावट विधानसभा के गणित में हैं। विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं, बहुमत के लिए 122 की जरूरत है। बीजेपी के पास 78 विधायक हैं। नीतीश की पार्टी के विधायकों की संख्या 45 है और जीतनराम मांझी की पार्टी के चार विधायक हैं। तीनों पार्टियों के कुल विधायकों की संख्या 127 होती है, यानि बहुमत से 5 ज्यादा लेकिन लालू यादव दांव लगा सकते हैं, नीतीश की पार्टी को तोड़ सकते हैं। लालू की पार्टी के 79, कांग्रेस के 19 , वाम दलों के 16 और दो अन्य विधायकों की संख्या को मिला दें तो आंकड़ा 116 होता है, यानि बहुमत से सिर्फ 6 कम। नीतीश को इस बात का डर है कि लालू उनकी पार्टी के कुछ विधायक तोड़ सकते हैं, कुछ विधायकों का इस्तीफा करवा सकते हैं। स्पीकर लालू के करीबी हैं। इसका फायदा उन्हें मिल सकता है। इससे सारा गणित गड़बड़ा सकता है। इसीलिए एक विकल्प यह भी है कि विधानसभा को भंग कर दिया जाए। ऐसी स्थिति में बिहार में भी लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करवाए जाएं। लेकिन उसके लिए वक्त बहुत कम है। बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं दिखती। और अब बात इतनी बढ़ चुकी है, इतनी फैल चुकी है कि जो करना है, जल्दी करना होगा, इसलिए मुझे लगता है कि बिहार में जो होना है, वो अगले कुछ घंटों में भी हो सकता है क्योंकि नीतीश के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं और अमित शाह के पास भी विकल्प कम हैं। (रजत शर्मा) देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 25 जनवरी, 2024 का पूरा एपिसोड Latest India News Source link

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