Delhi: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जल्द ही सीएम आवास खाली करना है। आप नेता राघव चड्ढा ने दावा किया है कि केजरीवाल के पास अपना कोई घर नहीं है। ऐसे में आम आदमी पार्टी केजरीवाल के लिए सरकारी आवास की मांग कर रही है। पार्टी का कहना है कि केजरीवाल एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम हैं। लेकिन क्या सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल सरकारी आवास के हकदार हैं? आवास आवंटन का नियम क्या कहता है? आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
केजरीवाल कब खाली करेंगे मकान?
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वह 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि उत्सव के दौरान अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे। केजरीवाल ने कहा कि मैं नवरात्रि के दौरान आवास से बाहर निकलूंगा और उन लोगों के बीच रहूंगा जो मुझे आवास की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि आज मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है। कई लोग मुझे अपने घरों में रहने के लिए बुला रहे हैं।
आप का तर्क क्या है?
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि कानून के मुताबिक अरविंद केजरीवाल सरकारी आवास के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक हर राष्ट्रीय पार्टी को देश की राजधानी में एक दफ्तर और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष/संयोजक को सरकारी आवास दिया जाता है। राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में कुल छह राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं, जिनमें से 5 बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सीएमपी (कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी) के अध्यक्षों को सरकारी आवास दिया गया है। ऐसे में छठी राष्ट्रीय पार्टी आप को भी आवास मिलना चाहिए।
नियम क्या कहता है?
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल सरकार से आवास पाने के हकदार नहीं हैं। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद सरकारी बंगला नहीं ले सकते। उनके साथ आम नागरिकों जैसा व्यवहार होना चाहिए। हालांकि, राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष या संयोजक सरकारी आवास पाने का हकदार है। बशर्ते उसके पास दिल्ली में अपना या सरकार द्वारा दिया गया कोई आवास न हो। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी को चुनाव आयोग ने साल 2023 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था।
Delhi: अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी घर की मांग,
Delhi: अरविंद केजरीवाल के लिए सरकारी घर की मांग, लेकिन क्या कहता है नियम? जानिए यहां
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